बहोत बेसब्र है ये दिल बड़ी बेकरारी है ।
बेदाद-ऐ -इश्क था मुझपे अब किसकी बारी है ॥
वही जुस्तजू लिल्लाह वही है आरजू कसम से
लगी है गुफ्तगू होने के वो आबरू हमारी है ॥
गम-ऐ- हयात की नुमाइश अब क्या करे कोई
सब्र है तुम हमारे हो और दुनिया तुम्हारी है ॥
खुला जब बंद-ऐ-नकाब-ऐ-हुस्न वो साकी
तल्खी-ऐ-काम-ओ-दहन उसकी है या तुम्हारी है ॥
मैं कहाँ जाऊँ अफ्सुं-ऐ-निगाह के सिवा
वही हाइल है हमारी "अर्श"वही चारागरी है ॥
बेदाद-ऐ-इश्क =मोहब्बत का जुलम ,
गम-ऐ-हयात =दुःख भरी ज़िन्दगी ,
बंद-ऐ-नकाब-ऐ-हुस्न =प्रेमिका के नकाब के बंधन
तल्खी-ऐ-कम-ओ-दहन=ओठ और तालू पर महसूस
होने वाला कसेलापन । अफ्सुं-ऐ-निगाह = जादू भरी निगाह
हाइल = बाधा पहुँचने वाला
मुआफी चाहता हूँ ज्यादा उर्दू और फारसी का शब्द इस्तेमाल करने के लिए ॥
प्रकाश "अर्श"
२२/१०/२००८
मैं कहाँ जाऊँ अफ्सुं-ए-निगाह के सिवा
ReplyDeleteवही हाइल है 'अर्श' वही चारागरी हमारी है
कमाल का मक़ता है साहब...
बहोत बेसब्र है ये दिल बड़ी बेकरारी है ।
ReplyDeleteबेदाद-ऐ -इश्क था मुझपे अब किसकी बारी है
" WAH, KYA ANDAJE BYAN HAI..., MIND BLOWING REALLY LIKED IT"
शोला है की कोई चिंगारी है ,
बडी बेदर्द ये दिल की बेकरारी है
Regards
रचना बोलचाल की भाषा में तो सोने पर सुहागा
ReplyDeleteकलिष्टता सामान्य पाठक को रचना से दूर करती है
बहरहाल
साधुवाद अर्श जी
बहोत बेसब्र है ये दिल बड़ी बेकरारी है ।
ReplyDeleteबेदाद-ऐ -इश्क था मुझपे अब किसकी बारी है ॥
वही जुस्तजू लिल्लाह वही है आरजू कसम से
लगी है............
really a nice one.
plzz visit my blog placeofloves.blogspot.com
बहोत बेसब्र है ये दिल बड़ी बेकरारी है ।
ReplyDeleteबेदाद-ऐ -इश्क था मुझपे अब किसकी बारी है
बहुत खूब .....क्या बात है .भाई ग़ज़ल लिखना तो कोई आपसे सीखे भाई. उस्ताद शायर हैं आप ब्लॉग कि भीड़ में अच्छी रचनाएँ इस तरह मिल जाएँ तो तसल्ली होती है .अब आपके ब्लॉग पर आना जाना लगा रहेगा
इसी बीच दीपावली कि शुभकामनाएं इश्वर आपको और आपके पूरे परिवार ko सारी खुशियाँ दे ......खील- खिलौनों- पठाखों के त्यौहार की हार्दिक बधाई, आपकी दीपावली शुभ हो .... ऐसी हमारी शुभकामनाएं हैं
vinay ji,seema ji ,maudgil sahab,abhishek ji aur singh sahab aap sabhi ka bahot bahot shukriya..
ReplyDeletesanth me aap sabhi ko dhero shubhkamanayen diwali ke liye..
regards
arsh