Sunday, October 26, 2008

एक बस तू ही नही मुझसे खफा और भी हैं .......

एक बस तू ही नहीं मुझसे खफा और भी है ।
इक मोहब्बत के सिवा वादे-वफ़ा और भी है ॥

चोट खाया, तो समझ आई, के मुज़रिम हूँ मैं
दिल ने फ़िर मुझसे कहा देखलो जा और भी है ॥

तुझे अज़ीज़ है सिम-ओ-जर तो मुबारक हो तुझे
तुमसे गिला क्या करें जहाँ मेरे सीवा और भी है ॥

मैं हूँ महरूम ,मरहूम ,मरहम न लगा "अर्श"
सोंच लो जुल्म-ऐ-मोहब्बत की सजा और भी है ॥

"अर्श"
२६/१०/२००८
सिम-ओ-जर=धन दौलत ,जा = जगह

8 comments:

  1. चोट खाया, तो समझ आई, के मुज़रिम हूँ मैं
    दिल ने फ़िर मुझसे कहा देखलो जा और भी है ॥

    बहुत ख़ूब!

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  2. achhi racna
    आपके परिवार, मित्रों एवं ब्लाग-मंडली को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
    --YOGENDRA MOUDGIL N FAMILY

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  3. दीप मल्लिका दीपावली - आपके परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

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  4. दीप मल्लिका दीपावली - आपके परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

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  5. बहुत ख़ूब...अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर...

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  6. mere new blog pe aapka sawagat hai......
    http://numerologer.blogspot.com/

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  7. इस मोहब्बत के सिवा वादे वफ़ा ओर भी है.........
    वाह साहब !बहुत अच्छे ...कुछ छोटी मोटी स्पेलिंग सुधार ले....लुत्फ़ ओर बढ जायेगा

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  8. अनुराग जी आप मेरे ब्लॉग पे आए बहोत अच्छा लगा आप सभी तो प्रेरणाl श्रोत हो .. जैसा की आपने कहा मैंने अपनी गलती सुधर ली है ... आपका बहोत बहोत आभारी हूँ ,,

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आपका प्रोत्साहन प्रेरणास्त्रोत की तरह है,और ये रचना पसंद आई तो खूब बिलेलान होकर दाद दें...... धन्यवाद ...