एक बार फ़िर आप सभी के पास हाज़िर हूँ ...कुछ खास भूमिका बनाये बगैर आप सब के बीच ग़ज़ल को छोड़ रहा हूँ पुचकारिये दुलारिये और अगर प्यार और आर्शीवाद के काबिल है तो प्यार और आर्शीवाद भी जरुर दें खूब बिलेलान होकर .... मतले का मिसरा सानी में सहायक भूमिका में बहन कंचन जी का थोड़ा बहुत हाथ है, मगर जान और साँस फूंकी है परम आदरणीय गूरू देव श्री पंकज सुबीर जी ने ........ मगर सबसे पहले उस नायाब कहानी को जरुर पढ़ें ...साहित्य जगत में धूम मचाने वाली कहानी ....... महुआ घटवारिन
एक शाम जब दर्पण का मैंने अपहरण किया
बह'र .... २१२२-२१२२-२१२
रिश्ते नातों का यही किस्सा हुआ
रेत का घर रेत पर बिखरा हुआ ॥
जब तलक रोका था तो कतरा था ये
बह पड़ा तो देखिये दरिया हुआ ॥
रूठ कर जाते हो पर बतला तो दो
आपको किस बात का गुस्सा हुआ ॥
तिनके तिनके से बनाया घोसला
टूट कर बिखरा तो फिर तिनका हुआ ॥
फन मेरा जो दिख रहा है आजकल
सब बुजुर्गों से है ये सीखा हुआ ॥
देखकर सूरज भी शरमा जाएगा
नथ का मोती इस कदर चमका हुआ ॥
कैसे कह दूँ अजनबी अब उसको मैं
अजनबी जो था वही अपना हुआ ॥
मेरे चेहरे को पढा कब आपने
प्यार का ख़त उसपे था लिक्खा हुआ ॥
प्रकाश'अर्श'
१०/११/२००९
रेत का घर रेत पर बिखरा हुआ ॥
जब तलक रोका था तो कतरा था ये
बह पड़ा तो देखिये दरिया हुआ ॥
रूठ कर जाते हो पर बतला तो दो
आपको किस बात का गुस्सा हुआ ॥
तिनके तिनके से बनाया घोसला
टूट कर बिखरा तो फिर तिनका हुआ ॥
फन मेरा जो दिख रहा है आजकल
सब बुजुर्गों से है ये सीखा हुआ ॥
देखकर सूरज भी शरमा जाएगा
नथ का मोती इस कदर चमका हुआ ॥
कैसे कह दूँ अजनबी अब उसको मैं
अजनबी जो था वही अपना हुआ ॥
मेरे चेहरे को पढा कब आपने
प्यार का ख़त उसपे था लिक्खा हुआ ॥
प्रकाश'अर्श'
१०/११/२००९