मेरा महबूब मेरे घर होगा ।
दिल हमारा है प्रेम का मन्दिर,
हम पे नफ़रत का ना असर होगा ।
घर बनाते है पत्थरों के सब
मेरा घर खुश्बुओं का घर होगा ।
उनसे जब सामना होगा मेरा
दिल मेरा आसमान पर होगा ।
दिल को छलनी किया है नज़रों ने
इस पे कब मरहमे नज़र होगा ।
आज फ़िर ज़िन्दगी बुलाती है
आज फ़िर से शुरू सफर होगा ।
उनसे नज़रें मिलाये बैठा है
अर्श को मौत का ना डर होगा ॥
बहर .... २१२२ १२१२ २२
प्रकाश'अर्श'
३०/०३/२००९